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सीएचसी पर ऐंटी स्नैक इंजेक्शन न मिलने पर मरीज की हालत बिगड़ी

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मेदांता में भर्ती कराया
सीएम से शिकायत

Manoj Kumar Yadav 

लखनऊ। सीएचसी मोहनलालगंज के डाक्टर की लापरवाही से समाजसेवी के भाई की जान सांसत में चली गयी। समाजसेवी सर्प के काटने पर अपने भाई को लेकर गुरुवार रात सीएचसी गया था। जहाँ डाक्टर ने ऐंटी स्नैक इंजेक्शन न होने की बात कहकर अस्पताल से लौटा दिया।वही निजी अस्पताल में ले जाने के बाद हालत और बिगड़ गई जिसके बाद समाजसेवी ने आनन-फानन भाई को मेदांता हॉस्पिटल में भर्ती कराया जहाँ शुक्रवार सुबह इलाज के बाद समाजसेवी का भाई खतरे से बाहर निकला।वही सीएचसी अधीक्षक ने अस्पताल में इंजेक्शन होने का दावा करते हुए पूरे मामले की जांच करने की बात कही है।
मोहनलालगंज कस्बे के रहने वाले समाजसेवी अनुपम मिश्रा ने बताया कि गुरुवार रात शिवगढ़ रिसॉर्ट के पास हाइवे पर रहने वाले उनके भाई विनय मिश्रा को जहरीले सर्प ने काट लिया था। जिसके बाद परिजन विनय को लेकर सीएचसी मोहनलालगंज आये।जहाँ पर डियूटी पर तैनात डाक्टर दिवाकर ने ऐंटी स्नैक इंजेक्शन न होने का हवाला देकर वापस कर दिया।हालत बिगड़ती देख समाजसेवी निजी अस्पताल लेकर गए जहाँ स्थिति और बिगड़ गयी।इसके बाद समाजसेवी ने भाई को मेदांता हॉस्पिटल में ले जाकर भर्ती कराया।
जहां पर इलाज करने वाले डॉक्टरों ने बताया यदि कुछ देर और हो जाती तो जान पर बन जाती वही शुक्रवार विनय के स्वास्थ्य में सुधार होने पर परिजनों ने राहत की सांस ली।वही इस पूरे मामले की शिकायत समाजसेवी ने सीएम हेल्पलाइन पर कर कार्यवाही की मांग की है।साथ ही घर पहुँचने पर इस मामले को स्वास्थ्य मंत्री से मिलकर शिकायत करने की बात कही है।
गुरुवार रात अस्पताल में तैनात डाक्टर दिवाकर ने  बताया जिस समय मरीज विनय आये थे उस समय अस्पताल में इंजेक्शन नहीं था।वही सीएचसी अधीक्षिका डा० ज्योति काम्बले का कहना था कि ऐंटी स्नैक इंजेक्शन अस्पताल में मौजदू है डाक्टर ने इंजेक्शन क्यों नहीं लगाया इस पूरे मामले की जांच की जायेगी।
सीएचसी पर होती है आयेदिन लापरवाही
ग्रामीणों ने बताया हाल में ही कस्बे के दो युवक दुर्घटना में जख्मी हो गए जिन्हें सीएचसी ले जाया गया।जहां पर डॉक्टरों ने घायलों का इलाज करना तो दूर उन्हें देखा तक नहीं बाद में दोनों की जान चली गयी।वही शाम होते ही सीएचसी पर इमरजेंसी में तैनात डाक्टर अस्पताल के बने कमरे की एसी में आराम करने चले जाते है।इस दौरान यदि कोई मरीज इलाज के लिये आता है तो डॉक्टर से पूछकर कंपाउडर ही इलाज करते है।