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सरकारी योजनाओं के बाद अब आम का नाम भी बदला

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श्वेतांक सिंह 
लखनऊ। मलिहाबाद फल फट्टी में यूँ तो मलिहाबाद के दसहरी आम से पूरे विश्व में चर्चित है। वही अवध में नवाबी नहीं रही। ठीक वैसे ही आम की ‘नवाबी’ भी खत्म होने को है। राजधानी आम के खास ब्रांड नेम नवाब के दिन अब लद गए हैं। इसका नाम अब बदल गया है। नया ब्रांडनेम काकोरी होगा। यह तय भी हो गया है।शासन स्तर पर इस पर मंथन चल रहा था ।

अब आम उत्पादकों, बागवानों के साथ वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक भी हो चुकी है। बागवानों से नए नाम के लिए प्रस्ताव मांगे गए थे। कुछ किसानों ने नये नामों का प्रस्ताव भी उपलब्ध कराया था। वही सूत्रों की माने तो नाम बदल कर नये ब्रांडनेम के रैपर भी छपने का आडर भी हो गया हैं। नये नाम का रैपर आते ही इसकी घोषणा होगी।
नाम में क्या रखा है
विलियम शेक्सपियर ने लिखा है ।कि नाम में क्या रखा है।

गुलाब को गुलाब न कहकर कुछ और कहो तो क्या वह खुशबू नहीं देगा । लेकिन लखनवी आम के इस नाम में बहुत कुछ खास रखा है । 2005 में तत्कालीन समाजवादी पार्टी की प्रदेश सरकार ने मैंगों फलपट्टी क्षेत्र लखनऊ के तीन ब्लॉकों में काकोरी, माल और मलिहाबाद में फलने वाले आमों का ब्रांड नाम नवाब रखा था। अवध खासतौर पर लखनऊ नवाबी शानो- शौकत के लिए मशहूर है। इसलिए इसे आम से जोड़ा गया। तय किया गया ।

कि लखनऊ के आम इसी नाम के गत्तों में पैक होकर निर्यात किए जाएंगे। यही नहीं,इसके लिए यूपी सरकार ने निर्यातकों और बागवानों के लिए प्रोत्साहन राशि भी तय की। जिसमें निर्यातकों को 26 रुपये प्रति किलो और किसानों को छह रुपये प्रति किलो दिया जाना तय किया गया था। आम उत्पादकों का कहना है ।  कि इस कोशिश के बावजूद निर्यात में कोई खास बढ़त नहीं मिल सकी। एक सीजन में कभी भी सौ मीट्रिक टन से ज्यादा आम का निर्यात नहीं हो सका ।  जबकि अपेक्षा यह थी कि कम से कम 400 से 500 मीट्रिक टन आम का निर्यात यहां से हो।


सूत्रों का कहना है । कि नवाब ब्रांडनेम का नाम बदल कर इसका नया ब्रांडनेम ‘काकोरी ब्रांड’ नाम से ब्रांडनेम रखा गया है। इसके रैपर पर काकोरी ब्रांड मैंगों के साथ ही दशहरी आम और उत्तर प्रदेश विधानसभा भवन की भी तस्वीर छपी रहेगी। वही सूत्रों की मानें तो काकोरी शहीद स्मारक भी अपनी एक छाप छोड़े हुए । ऐतिहासिक नगरी मे काकोरी का नाम देेेश मे ही नही पूूरे विश्व मे जाना जाता है।शायद इसी को याद मे रख कर सरकार ने शायद इसे

काकोरी ब्रांड दिया है । जिससे देश के साथ ही उत्तर प्रदेश की संस्कृति का भी विदेशों में संदेश का डंका बुलंद होगा।

अवध आम उत्पादक एवं बागवानी समिति के महासचिव नविपनाह गांव निवासी उपेंद्र सिंह कहते हैं । कि लखनऊ से ज्यादा तो सहारनपुर पैकहाउस से आम का निर्यात हो जाता है ।उपेंद्र सिंह का कहना है। कि ऐसा ब्रांडनेम की वजह से हुआ। वजह चाहे जो भी हो, नवाब ब्रांडनेम बागवानों को लुभा न सका।आम उत्पादक चाहते हैं । कि यह नाम बदला जाए। बीते 27 मई को मंडी परिषद में प्रमुख सचिव, निदेशक स्तर के अधिकारियों के साथ किसानों, बागवानों और निर्यातकों की बैठक में भी नवाब ब्रांडनेम बदलने का मुद्दा उठाया गया।

जिसको लेकर बागवानो मे कुछ कहा सुनी भी हुई । इसके बाद नाम बदलने की प्रक्रिया ने जोर पकड़ा। साथ ही उन्होंने कहा कि मैंगों पैक हाउस में मिलने वाली सुविधाएं सिर्फ निर्यात करने वालों को ही मिल रहीं है। यहाँ की इन सभी सुविधाओं का लाभ फल पट्टी क्षेत्र के सभी छोटे बड़े बागवानों को मिलनी चाहिए। मण्डी परिषद के सचिव संजय सिंह ने नवाब ब्रांडनेम का नाम बदलने की पुष्टि करते हुए कहा । कि बहुत जल्द नये ब्रांडनेम की घोषणा हो सकती है। इसकी सभी तैयारियां शासन स्तर पर हो चुकी हैं।